महाराजा अग्रसेन जी का इतिहास और सिद्धांत एवम अनमोल वचन 2023| History of Maharaj Agrasen Jayanti in hindi

भारतीय इतिहास में, महाराजा अग्रसेन एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हैं जिनकी महिमा और उनके सिद्धांतों ने समाज में गहरा प्रभाव डाला। उनका जन्म एक गौरवशाली वंश में हुआ था, जिसने उन्हें एक शक्तिशाली और सशक्त राजा के रूप में याद किया जाता है। उनके अनमोल वचनों ने सदैव हमें जीवन के मूल्यों और सामाजिक समर्थन की महत्ता को समझाया है। आज के इस लाख में हम आप को उनके जीवन से जुडी हुई कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे। जुड़े रहिए हम साथ।

महाराजा अग्रसेन का इतिहास:

महाराजा अग्रसेन का जन्म भारतीय इतिहास के गहने में सूचीबद्ध नहीं हो सका है, लेकिन विभिन्न ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं में उनका वर्णन है। अग्रसेन जी को हरियाणा के अग्रवाल समुदाय के प्राचीन राजा माना जाता है। उनके प्रति भक्ति और सम्मान की भावना हरियाणा के लोगों में गहरी रूप से बसी है।

Maharaj Agrasen

अग्रसेन जी की विशेषता इनके दानशीलता, सामाजिक न्याय और सहानुभूति के सिद्धांतों में है। उन्होंने गरीबों और धन्यों की मदद करने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया। अग्रसेन जी के बारे में पूरे भारतीय समाज में अनेक कथाएं प्रचलित हैं जो उनके दानवीरता और न्याय के सिद्धांतों को प्रकट करती हैं।

महाराजा अग्रसेन के सिद्धांत और अनमोल वचन:

सेवा और दान का महत्त्व: “दान करना और सेवा करना ही सच्चे मानवता की सबसे ऊँची प्राप्ति है।”

समाजिक समरसता: “सभी मानव बराबर होते हैं, उनकी समानता और समरसता का अनुभव करना चाहिए।”

कर्मयोग: “कर्म करते रहो, फल की इच्छा मत करो। फल अपने कर्मों का होता है।”

न्याय और सहानुभूति: “समाज में न्याय और सहानुभूति का बाजार हमेशा चलता रहना चाहिए।”

शिक्षा का महत्त्व: “शिक्षा ही व्यक्ति को सही मार्ग दिखा सकती है, इसलिए शिक्षा को महत्त्व देना चाहिए।”

अग्रसेन जी के ये सिद्धांत समाज में समाजिक समरसता, न्याय, दानशीलता और सहानुभूति को बढ़ावा देते हैं। उनके अनमोल वचनों में गुणवत्ता, उदारता और निष्ठा की महत्ता स्पष्ट रूप से उजागर होती है।

अग्रसेन जी के इतिहास और सिद्धांतों की आधार पर हम यह समझ सकते हैं कि वे समाज में न्याय, सहानुभूति और समरसता के प्रति समर्पित थे। उनकी विचारधारा और शिक्षाएं आज भी हमें सही दिशा में चलने की प्रेरणा देती हैं। अग्रसेन जी के सिद्धांतों को अपनाकर हम समृद्ध और समरस समाज की ओर बढ़ सकते हैं।

अग्रोहा धाम की स्थापना (Agroha Dham):

वैश्य जाति के संस्थापक महाराजा अग्रसेन प्रताप नगर के राजा थे। एक दिन उन्हें सपने में माता लक्ष्मी ने दर्शन दिए और तपस्या में ध्यान लगाने के लिए कहा, इसके बाद राजा अग्रसेन और रानी माधवी ने पूरे देश की यात्रा की और समाज में वैश्य धर्म का प्रचार किया। जिस में मुखय तौर पर व्यापार पर जौर दिया गया। फिर उन्हें अग्रोहा राज्य की स्थापना की शुरुआत में इसका नाम अग्रेयगण रखा गया जिसे बाद में बदल कर अग्रोहा रख दिया गया। जो इस समय हरियाणा में है। हरियाणा के लोग इन्हें बहुत मानते हैं।

अग्रवाल समाज की उत्पत्ति और गोत्र :

महाराजा अग्रसेन जी ने वैश्य समाज को इस्थिरता देने के लिए 18 यज्ञ किये और इस में उनके 18 पुत्र भी शामिल हुए। इस यज्ञ को 18 ऋषियों ने मिल कर पूरा करवाया। इन के आधार पर 18 गोत्रो वाले भव्य अग्रवाल समाज की स्थापना हुई।

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अग्रवाल समाज के 18 गोत्र
गोत्रभगवान्गुरु (ऋषि)
एरोन/ एरनइन्द्रमलअत्री/और्वा
बंसलविर्भनविशिस्ट/वत्स
बिंदल/विन्दलवृन्द्देवयावासा या वशिष्ठ
भंडलवासुदेवभरद्वाज
धारण/डेरनधवंदेवभेकार या घुम्या
गर्ग/गर्गेयापुष्पादेवगर्गाचार्य या गर्ग
गोयल/गोएल/गोएंकागेंदुमलगौतम या गोभिल
गोयन/गंगलगोधरपुरोहित या गौतम
जिंदलजैत्रसंघबृहस्पति या जैमिनी
कंसलमनिपालकौशिक
कुछल/कुच्चलकरानचंदकुश या कश्यप
मधुकुल/मुद्गलमाधवसेनआश्वलायन/मुद्गल
मंगलअमृतसेनमुद्रगल/मंडव्य
मित्तलमंत्रपतिविश्वामित्र/मैत्रेय
नंगल/नागलनर्सेवकौदल्या/नागेन्द्र
सिंघल/सिंगलासिंधुपतिश्रृंगी/शंदिला
तायलताराचंदसाकाल/तैतिरेय
तिन्गल/तुन्घलतम्बोल्कारनाशंदिलिया/तन्द्य
अग्रसेन जयंती कब है?

अग्रसेन जयंती आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानि कि नवरात्रि के पहले दिन मनाई जाती है। इस दिन भव्य आयोजन किये जाते हैं और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।

इस वर्ष 2023 में यह जयंती 15अक्टूबर को मनाई जाएगी.

वैश्य समुदाय के अंतर्गत अग्रवाल समुदाय के साथ-साथ जैन, माहेश्वरी, खंडेलवाल आदि भी आते हैं, ये सभी भी इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। इस जयंती को पूरा समाज एकत्रित होकर मनाता है। इस दिन एक बड़ी रैली निकाली जाती है। अग्रसेन जयंती से पंद्रह दिन पहले से ही उत्सव शुरू हो जाते हैं। समाज में कई नाटक और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। बच्चों के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। यह त्यौहार पूरे समाज के साथ मिलकर मनाया जाता है। यही इसका मुख्य उद्देश्य है.

  1. जिस प्रकार हमें मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्त होता हैं हमें ऐसा जीवन बनाना होगा कि हम कह सके कि हम
  2. 2.मृत्यु से पहले स्वर्ग में थे.
  3. मैंने किसी पक्षी को तीर का निशाना बनाने के बजाय उन्हें उड़ता देखना पसंद करता हूँ. घोड़े पर बैठकर जब चलते हैं अग्रसेन बच्चा-बच्चा कहता हैं हैं.
  4. कर्मठता का प्रतीक हैं इनके स्वभाव में ही सीख हैं ऐसी परंपरा बनाई आज तक जो चली आ रही वही रीत हैं.

महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज हिसार:

महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज हिसार के अग्रोहा शहर में स्थित है। कॉलेज का पता, प्रवेश और बाकी जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें।

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